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कैसे होगी यह दीवाली.?

गीत बच्चे भूखे अकुलाते हैं घर में पसरी है बदहाली! मन विह्वल है सोच सोच कर कैसे होगी यह दीवाली.? कोई महलों की रंगत कर, कनक-कटोरी धोता है। चाँदी की चादर में लिपटा, ठाठ बाट से सोता ...