सच झूठ

#सच्चा_झूठ

सच ....झूठ कह रही हूँ
कि खूब समझते हो तुम
तुम्हारी ओर से फिर चुकी
कभी ग़ुस्सैल कभी हताश
निगाहों की भाषा

सच ....झूठ कह रही हूँ
तुम्हारी हृदय भेदी बातों की आड़-
से भी नहीं निहारती तुम्हें -
तुमसे अंतहीन स्नेह करने की अभ्यस्त
मैं और मेरी सजल आँखें

सच ....झूठ कह रही हूँ
नहीं भींगते उस ओट से झांकती
मेरी कनखई आँखों के
नुकीले से थोड़े कम
वो बिन काजलों वाले कोर

सच ....झूठ कह रही हूँ
नहीं बैठती तुमसे संलग्न
चिंताओं में विचरित एकान्त सी
किसी कोलाहल भरी भीड़ में
जहाँ कठिन हो जाता है
अपने आप को पहचान पाना

सच ....झूठ कह रही हूँ
दिन के किसी भी पहर में
नहीं चुभते मुझे
तुम्हारे द्वारा साधे गए
व्यंग की चाशनी में लपेट
असंख्य कटु वचनों की सूईयाँ

सच ....झूठ कह रही हूँ
की नहीं नेह है मुझे तुमसे
न हीं है तुम पर .….
सर्वस्व लूटा देने सा  "प्रेम"

#प्रियंका_सिंह

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