#शुद्घ_हिंदी_गीत_(ऋतु प्रेम आई है)
#दिनांक 8/9/17 #गीत #आधार_छंद_विजात 1222 1222 सुनो ऋतु प्रेम आई है घटा भी संग छाई है कहीं फिर कूकती कोयल कहीं फिर गूँजती पायल सुना है गीत नदियों का मिला अब मीत सदियों का हृदय में तू समाई है सुनो ऋतु प्रेम आई है खिलें हैं आज वन उपवन हुआ है देख चंचल मन दिखी ये साँझ फुलवारी खिली हर फूल की क्यारी तुझे पाऊँ दुहाई है सुनो ऋतु प्रेम आई है बड़ी ये रात है प्यारी मगन सुन रागिनी सारी कहो ये बात है कैसी लगे अनुराग के जैसी दशा अपनी दिखाई है सुनो ऋतु प्रेम आई है #प्रियंका_सिंह