#ग़ज़ल_हिंदी_शौर्य

#दिनांक- 14/9/17

#विषय  #हिंदी
 
              #ग़ज़ल

2122       2122        2122         212

ये धरा   जननी यही है   भारती ये    शान  है
हिंद  हिंदी  वंदना सुन   आरती ये     मान  है

वीर गाथा  से सजी   साहित्य यह   जान  लो
रूप शब्दों का   नहीं ये   देश की  पहचान है

है यही तुलसी की' वाणी है निराला ज्ञान स्वर
वर्ग की बोली नहीं ये    सर्व का  अभिमान है

युग युगों से चल रही   संघर्ष ये  अस्तित्व की
आज भी 'कई जान इसकी प्राण से अंजान है

खेलते कुछ लोग  भाषा नाम पर   क्यों पैतरे
ध्यान हिंदी ही सदा मन - भाव का सम्मान है

#प्रियंका_सिंह

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