#कविता_हिंदी_दशा_दिशा
#दिनांक- 14/9/17
#हिंदी_दशा_दिशा
अपनी 'राजभाषा' हिंदी है
कई लोगो को ये ज्ञान नहीं
हाय मातृभाषा हिंदी को
निज लोगो में ही मान नहीं
व्यवहारिक भाषा हिंदी से
सब समझे निज सम्मान नहीं
इससे अति क्या दुर्गति होगी
हिंद में हिंदी अभिमान नहीं
आंग्ल भाषा की गरिमा को
यहाँ हर लोग बचाये रखते है
बस निज भाषा के प्रयोग में
मन और मुख दबाये रखते हैं
मन प्रफुल्लित होता आज
ये मन अति हर्षित होता आज
यदि दिन हिंदी उत्सव होता
हिंदी वर्ग प्रधान न होती
न ही प्रयोग औसत होता
साहित्य रचयिता की कर्मठता
व्यर्थ दिखाई पड़ती है
जब अपनो के ही मध्य ये हिंदी
घुट घुट नित नित मरती है
चलो आज हम इक दीप जलाये
हिंदी की उन्नति स्वर गीत गाये
सम्मान हम ही से मिलना है जब
आओ सब मिलकर मान दिलाये
#प्रियंका_सिंह
#हिंदी_दशा_दिशा
अपनी 'राजभाषा' हिंदी है
कई लोगो को ये ज्ञान नहीं
हाय मातृभाषा हिंदी को
निज लोगो में ही मान नहीं
व्यवहारिक भाषा हिंदी से
सब समझे निज सम्मान नहीं
इससे अति क्या दुर्गति होगी
हिंद में हिंदी अभिमान नहीं
आंग्ल भाषा की गरिमा को
यहाँ हर लोग बचाये रखते है
बस निज भाषा के प्रयोग में
मन और मुख दबाये रखते हैं
मन प्रफुल्लित होता आज
ये मन अति हर्षित होता आज
यदि दिन हिंदी उत्सव होता
हिंदी वर्ग प्रधान न होती
न ही प्रयोग औसत होता
साहित्य रचयिता की कर्मठता
व्यर्थ दिखाई पड़ती है
जब अपनो के ही मध्य ये हिंदी
घुट घुट नित नित मरती है
चलो आज हम इक दीप जलाये
हिंदी की उन्नति स्वर गीत गाये
सम्मान हम ही से मिलना है जब
आओ सब मिलकर मान दिलाये
#प्रियंका_सिंह
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