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Showing posts from January, 2018

मुक्तक - भावमय उपकार

#मुक्तक 2122   2122   2122   212 हिन्द की पावन धरा अब जल रही रार से आज क्यों झूठे हैं रिश्ते नेह के अधिकार से दीप्त सूरज भी यहाँ इक रूप है भगवान का आप भी निर्बल को बल दो भावमय उपकार से #प्रियंका_सिंह

प्रकृति व्यापार (छंदमुक्त)

#विधा- छंदमुक्त #दिनांक- 11/1/18 #प्रकृति_व्यापार नवकुल चंचल विहग से गुंजित #आदिम स्वर्णिम भाव भूमिजा प्रेम स्नेह में सुरमई शोभित प्रणय, #प्रतिष्ठा से वर्णित वसुधा जलधि समरुपक नभ विशाल मण्डित शोभे इंद्रधनुष देख #चमत्कृत छटा सुनहली #विस्मृत होता मंथन पीयूष सांझ सी सरल सुगंधित वेणी सोंध माटी की मुक्त लालिमा कर्मठता पर भाल तिलक सा कलुष पौरुष #हस्त कालिमा  #सन्नाटे की आवरण ओढ़े अलंकृत आभा रात चाँदनी नीरवता में मधुर #प्रलाप मत्स्य काया सी त्वरित दामिनी #अशांत अनल आवेग #विपत्ति दारुण दृश्य समाहित प्रकृति अद्भुत पुनः नव निर्माण विचार आदि-अंत का #अनन्य प्रसार #प्रियंका_सिंह

प्रेम पाश में आलिंगन (गीत)

नीर सलिल की मधुरिम बूँदें, अधरों को छू जाएंगी प्रेम पाश में आलिंगन से , प्रीति कली खिल जाएंगी जलज सरोवर में हैं झूमें , गाती तीय तरंगे हैं प्रिये प्रणय के स्वप्न सजीले, मन में भरे उमंगे हैं पुलकित होगा तन का आँगन, तितलियाँ मडराएंगी प्रेम पाश में आलिंगन से ,प्रीति कली खिल जाएंगी नित्य निहारूँ निशा चाँदनी, व्याकुल होता मन मेरा कटुतम होगा सारा क्षण वो, पाऊँ न यदि साथ तेरा तममय होगा सारा जग ये , शोर विहग न मचाएंगी प्रेम पाश में आलिंगन से ,प्रीति कली खिल जाएंगी साँस साँस में तुम बस जाओ,  बसूँ रोम में मैं तेरे मैं बन जाऊँ रागिनी सुर की, तुम बन जाओ राग मेरे प्रियवर तेरा संग मिले हर, राह सरल हो जाएंगी प्रेम पाश में आलिंगन से  ,प्रीति कली खिल जाएंगी     #प्रियंका_सिंह

#शुभ नव वर्ष गीत

#कर_विदा_वर्ष_को_कुछ_नया_तुम_करो 212   212    212    212 कर विदा वर्ष को कुछ नया तुम करो साल आया नया अब मज़ा तुम करो बीते पल की सभी उलझनें भूल कर अब थके मन की अपने दवा तुम करो। जो दबी रह गयी ख़्वाहिशें दिल की सुन उनसे इस वक़्त से ही वफ़ा तुम करो बीतता जा रहा  वक़्त का फलशफ़ा आते लम्हो को खुशियाँ अता तुम करो 'प्रिय' जियो जो भी हाशिल हुए पल तुम्हें सबको ख़ुशियाँ मिले ये दुआ तुम करो @प्रियंका सिंह