मुक्तक - भावमय उपकार
#मुक्तक
2122 2122 2122 212
हिन्द की पावन धरा अब जल रही रार से
आज क्यों झूठे हैं रिश्ते नेह के अधिकार से
दीप्त सूरज भी यहाँ इक रूप है भगवान का
आप भी निर्बल को बल दो भावमय उपकार से
#प्रियंका_सिंह
2122 2122 2122 212
हिन्द की पावन धरा अब जल रही रार से
आज क्यों झूठे हैं रिश्ते नेह के अधिकार से
दीप्त सूरज भी यहाँ इक रूप है भगवान का
आप भी निर्बल को बल दो भावमय उपकार से
#प्रियंका_सिंह
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