प्रेम पाश में आलिंगन (गीत)
नीर सलिल की मधुरिम बूँदें, अधरों को छू जाएंगी
प्रेम पाश में आलिंगन से , प्रीति कली खिल जाएंगी
जलज सरोवर में हैं झूमें , गाती तीय तरंगे हैं
प्रिये प्रणय के स्वप्न सजीले, मन में भरे उमंगे हैं
पुलकित होगा तन का आँगन, तितलियाँ मडराएंगी
प्रेम पाश में आलिंगन से ,प्रीति कली खिल जाएंगी
नित्य निहारूँ निशा चाँदनी, व्याकुल होता मन मेरा
कटुतम होगा सारा क्षण वो, पाऊँ न यदि साथ तेरा
तममय होगा सारा जग ये , शोर विहग न मचाएंगी
प्रेम पाश में आलिंगन से ,प्रीति कली खिल जाएंगी
साँस साँस में तुम बस जाओ, बसूँ रोम में मैं तेरे
मैं बन जाऊँ रागिनी सुर की, तुम बन जाओ राग मेरे
प्रियवर तेरा संग मिले हर, राह सरल हो जाएंगी
प्रेम पाश में आलिंगन से ,प्रीति कली खिल जाएंगी
#प्रियंका_सिंह
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