प्रकृति व्यापार (छंदमुक्त)

#विधा- छंदमुक्त
#दिनांक- 11/1/18

#प्रकृति_व्यापार

नवकुल चंचल विहग से गुंजित
#आदिम स्वर्णिम भाव भूमिजा
प्रेम स्नेह में सुरमई शोभित
प्रणय, #प्रतिष्ठा से वर्णित वसुधा

जलधि समरुपक नभ विशाल
मण्डित शोभे इंद्रधनुष
देख #चमत्कृत छटा सुनहली
#विस्मृत होता मंथन पीयूष

सांझ सी सरल सुगंधित वेणी
सोंध माटी की मुक्त लालिमा
कर्मठता पर भाल तिलक सा
कलुष पौरुष #हस्त कालिमा

 #सन्नाटे की आवरण ओढ़े
अलंकृत आभा रात चाँदनी
नीरवता में मधुर #प्रलाप
मत्स्य काया सी त्वरित दामिनी

#अशांत अनल आवेग #विपत्ति
दारुण दृश्य समाहित प्रकृति
अद्भुत पुनः नव निर्माण विचार
आदि-अंत का #अनन्य प्रसार

#प्रियंका_सिंह

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