अब_कोई_आश्चर्य_नहीं_होता
#अब_कोई_आश्चर्य_नहीं_होता
अब कोई आश्चर्य नहीं होता
न ही होता है कोई अचंभा
प्रायः सुनाई देती हैं सिसकियां
सुनाई दे जाता हैं प्रायः हाहाकार
समझ आती हैं व्यथाएँ
देखाई पड़ ही जाती हैं पीड़ाएँ
किन्तु नहीं होता है कोई आश्चर्य
न ही होता है किसी भी प्रकार का
कोई भी अचम्भा
इंसानी बर्बरता के दैनिक किस्से
हो गए हैं संलग्न दैनिक दिनचर्या से
अधुनिकता के इस अत्याधुनिक स्तर पर
वास्तव में हुआ है नवीनीकरण
पुरानी संवेदनाओं का
ये बात और है
नयेपन में नहीं अब वो पैनापन
ठीक वैसे ही जैसे -
पुरानी वस्तुओं पर नए आवरण - से
खो देती है वह वस्तु अपना मूल रूप
बशर्ते पुरानेपन की मृदुता को त्याग
नए हो चुके हैं सभी भाव , शून्य संवेदनाएं
सम्भवतः इसीलिए अब कोई आश्चर्य नहीं होता
न ही होता है किसी भी प्रकार का कोई अचंभा
#प्रियंका_सिंह
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