#निज_संसार_अनोखा_हो
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द्वेष भाव को तज दो गर तो, सुख संचार अनोखा हो
दशों दिशाओं में ख़ुशियाँ हों, निज संसार अनोखा हो
सायंकाल नित अपने संग ,नव ऊर्जा लेती आए
जीवन में हो सुख का डेरा, दुख का तम मिटता जाए
जब अपनों से नेह मिले तब,मन श्रृंगार अनोखा हो
दशों दिशाओं में ख़ुशियाँ हों, निज संसार अनोखा हो
बैठ चौतरा आशा सबकी ,दुविधा को भरमाती हो
घर के बाहर गौरैया भी, मधुरिम गीत सुनाती हो
पनचक्की से गिरती बूँदों ,का आधार अनोखा हो
दशों दिशाओं में ख़ुशियाँ हों, निज संसार अनोखा हो
सबके हिस्से में हो शिक्षा,सच उर की अभिलाषा हो
हरियाली फैले मन में भी, संवेदित परिभाषा हो
ओसारे में बालक खेले ,गुंजित द्वार अनोखा हो
दशों दिशाओं में ख़ुशियाँ हों, निज संसार अनोखा हो
पोखर में कुसुमित हो पंकज,आश्रय हाट बिकाता हो
वणिक बेचता मैत्रियता औ'र, दाम हँसी बतलाता हो
करुणा से पोषित मन सबका ,हिय उद्धार अनोखा हो
दशों दिशाओं में ख़ुशियाँ हों, निज संसार अनोखा हो
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#प्रियंका_सिंह
पुणे (महाराष्ट्र)
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