घनाक्षरी
#छंद - (#मरहरण_घनाक्षरी) समता की भावना से सजी इस दुनिया में जहाँ देखो वहाँ बस कपट की काली है । क्रोध, क्लेश और मृषा रूपी मैला उपवन जहाँ छल द्वेष स्यात् बने बैठा माली है । खो रही संवेदना से पल्लवित पादपों की, होती हतप्रभ कली, सूख रही डाली है । जिन गुणों हेतु मनु पशु से पृथक रहा आज उन्हें हार पशु-वृत्ति अपना ली है । ©प्रियंका सिंह #छवि - #गूगल