जहाँ हृदय मे प्रेम (मुक्तक)

जहाँ हृदय में प्रेम अधर पर हो गुड़ -सी मीठी बोली 
उत्सव नेह दया करुणा उस आँगन की है रंगोली 
जिसकी लय व अलय में घुलती धैर्य सरीखी मृदु लाली,
सतरंगी सपनों के सँग में प्राण वहाँ खेले होली

Comments

Popular posts from this blog

दोहा(गणेश वंदना)

#मोबाइल

#और_कितनी_शिकायतें_हैं_तुम्हे_मुझसे