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Showing posts from April, 2018

कर्म

                         #कर्म द्वेष  मुक्त हो  मानव  चेतन ,  ज्योतिर्मय  संसार   बने कर्मों  की  हो  ऐसी  श्रेणी ,  जो  जीवन  आधार  बने नव ऊर्जा से पोषित मन हो ,काज सकल साकार क...

भाग्य

🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇 मानव माटी की है काया, ज्ञान गुणों का प्राणी है भाग्य भरोसे कभी न बैठो,कर्मठता दिखलानी है कई मोड़ आते जीवन में ,लेतें कठिन परीक्षा हैं सार गहें जीवित कर्मों के , देतें सफल समीक्षा हैं बैठे बिठाए कुछ न मिलता, यदि पहचान बनानी है भाग्य भरोसे कभी न बैठो,कर्मठता दिखलानी है जो सब गुण सम्पन्न बना है, जिसने भाग्य को बदला है हर कठिनाई झेली उसने, काँस्य काँच सा पिघला है ऐसी ही श्रमसाध्य कहानी,मन को सदा सुनानी है भाग्य भरोसे कभी न बैठो,कर्मठता दिखलानी है बात सदा ही ध्यान रहे हर,कर्मों का परिणाम मिले चाहे मन में जितनी इच्छा ,यश मान और नाम मिले आप भूमि से अन्न न उपजे ,बात यही बतलानी है भाग्य भरोसे कभी न बैठो,कर्मठता दिखलानी है 😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎 #प्रियंका_सिंह पुणे(महाराष्ट्र)

गाँव

                            #गीत                 #आधार_छंद_तांतक देश गाँव की मिट्टी सोंधी, मोहत मन हरियाली है खेतों के सब मेढ़ सजीले, धरती रूप निराली है सनन-सनन पुरवइयाँ चलती, म...

बिना जल जीवन

#जल_है_तो_कल_है                         #ग़ज़ल         1222      1222   1222     1222 तनिक इस बात पर दो ध्यान कहती तोहे' समझाई समय आएगा' इक ऐसा न जल होगी न पुरवाई न होगा कोय भी पनघट न होगी कोय पनिहार...

भारती की गरिमा

😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔 बुद्धिजीवियों से शोभे, देश के हैं सारे कोने सत्य विषयों की गाथा पढ़ता न कोई है गढ़े निज नियमों की परिपाटी चल पड़ी कुशल समाज रूप गढ़ता न कोई है हृदय को भेदती जो नभ तक गूँजती वो पीड़ितों की चीख़ ध्वनि सुनता न कोई है अधरों को सिये खड़े खोल दृग टाँके पड़े भारती की गरिमा को चुनता न कोई है निसदिन आशाओं के जलाशय सूख रहे अविरल प्रेम नीर भरता न कोई है पापों की जो गगरी है प्रतिपल भर रही आने वाले वक़्त से क्यों डरता न कोई है ज्ञानी तम राह चले द्वेष आवरण ओढ़े ज्ञानघट फूटा पड़ा जोड़ता न कोई है कहने को कहते है आधुनिक बन रहें पाले बैठे भ्रम जिसे तोड़ता न कोई है 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔 प्रियंका सिंह पुणे (महाराष्ट्र)

अमिया की डाली

#अमिया_की_डाली गर्माहट भरी हवाओं में, झूमती वो अमिया की डाली... पत्तियों की सरसराहट हो या, डालियों की चरमराहट, लगे जैसे साथ मिल सारे- बजा रहे हो ताली..... इठलाती,बलखाती सौंधी-सी खुश...

कोख में कन्या

👶👶👶👶👶👶👶👶👶👶👶👶👶👶 हिय से निकली एक अरज है,हिय से ही  स्वीकार  करो पल रही यदि कोख में कन्या,मत कुंठित व्यवहार  करो ईश्वर   के  आशीष   रूप  में , माँ   जनमे  है  जाई  को हाथों...