कर्म
#कर्म
द्वेष मुक्त हो मानव चेतन , ज्योतिर्मय संसार बने
कर्मों की हो ऐसी श्रेणी , जो जीवन आधार बने
नव ऊर्जा से पोषित मन हो ,काज सकल साकार करें
भाग्य कलश के शेष सिरे को , सत कर्मों से नित्य भरें
जिव्हा से निकली मृदुवाणी , प्राणों का श्रृंगार बने
कर्मों की हो ऐसी श्रेणी , जो जीवन आधार बने
नेह भाव को उर से तज कर , मोह पाश विच्छिन्न किया
क्रोध कपट का ओढ़ आवरण,निर्मलता को खिन्न किया
ज्ञान कोकिला कूके ऐसे , पावन पंथ पुकार बने
कर्मों की हो ऐसी श्रेणी , जो जीवन आधार बने
मुरझाती जाए नित करुणा , सर्व बदी ही पालित है
अवहेलित होती मर्यादा , नव युग यूँ संचालित है
करूँ निवेदन मानव कुल से , संवेदित उपचार बने
कर्मों की हो ऐसी श्रेणी , जो जीवन आधार बने
#प्रियंका_सिंह
Comments
Post a Comment