बिना जल जीवन
#जल_है_तो_कल_है
#ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222
तनिक इस बात पर दो ध्यान कहती तोहे' समझाई
समय आएगा' इक ऐसा न जल होगी न पुरवाई
न होगा कोय भी पनघट न होगी कोय पनिहारिन
बिना जल होगा जीवन फिर करेगा कौन भरपाई
न भाई जग को हरियाली इसे पाथर बनाया क्यों
दशा वातावरण की आज फूलों सी है' मुरझाई
नहीं सम्मान माटी का रहा इंसानों के दिल में
जनावर बन चुके इंसां धरा ये बात बतलाई
यहाँ 'प्रिय' बोलती सबको न भूलो काज को अपने
प्रदूषित मत करो धरती सदा समझो इसे माई
#प्रियंका_सिंह
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