कोख में कन्या
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हिय से निकली एक अरज है,हिय से ही स्वीकार करो
पल रही यदि कोख में कन्या,मत कुंठित व्यवहार करो
ईश्वर के आशीष रूप में , माँ जनमे है जाई को
हाथों में ले राखी रोली , बहना मिलती भाई को
बिन बेटी जग कैसा होगा, थम कर तनिक विचार करो
पल रही यदि कोख में कन्या, मत कुंठित व्यवहार करो
बिटिया की किलकारी जैसे , मधुरिम गूंजे शहनाई
अवतरित होती ये धरा पर , देवी की बन परछाई
युग संचालन की सहभागी , पर मत अत्याचार करो
पल रही यदि कोख में कन्या,मत कुंठित व्यवहार करो
जिनसे कथित समाज बना है ,नियमों को वे गढ़ते है
बिटिया बोझा बाबुल सिर की , सोच सभी पर मढ़ते है
हीन दशा से पीड़ित जग है , सब मिलकर उपचार करो
पल रही यदि कोख में कन्या, मत कुंठित व्यवहार करो
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#प्रियंका_सिंह
पुणे (महाराष्ट्र)
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