सरस्वती वंदना गीत


#विधा:- गीत (सरस्वती वंदना)
#छंद :- तांतक
#दिनांक:- 19-02-2018

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स्वर्णिम भूमि - श्वेत सी आभा, हर्षित रूप निहारे है।
ज्ञान गुणों की देवी तुझको, बाल अबोध पुकारे है।

शीश मुकुट सिंदूरी सा मुख, वन्द्या हंस विराजे है।
मन आनंदित हो जाए जब,मधुरिम वीणा बाजे है।
कर दे द्वेष नष्ट माँ मन से, मेरा हृदय विचारे है।
ज्ञान गुणों की देवी तुझको, बाल अबोध पुकारे है।

पाप मुक्त हो जाए चेतन, मातु मुझे वर ऐसा दे।
दिव्य ज्योति फैले इस जग में,चमत्कार कर ऐसा दे।
तू वेद सखी ऐसी है जो, भवसागर से तारे है।
ज्ञान गुणों की देवी तुझको, बाल अबोध पुकारे है।

जोड़ करों को करती वंदन, बस आशीष मुझे दे तू।
जीवन में गर आये विपदा, सारी विपदा हर ले तू।
बीच भँवर में फँस जाऊँ माँ, लाती मुझे किनारे है।
ज्ञान गुणों की देवी तुझको, बाल अबोध पुकारे है।

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स्वरचित
प्रियंका सिंह
पुणे (महाराष्ट्र)

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