#बूढी_हंसी
#बूढी_हंसी
तेरी बूढी हंसी में ,अब वो बात नहीं रही..
बयां तो कर मन की-
चाहे हो वो ,दो टूक अल्फ़ाज़ ही सही..
खामोशियों के इस बियाबान में -
तू घूम क्यों रहीं...
व्यथाओँ को बता कर,पल भर को-
खुल के झूम तो सही..
भावी इंसानो की सभा में भावनाओ की ,
ऐसी दुर्गति,कोई कैसे सहे..
ये कौन किससे कहे कि-
हम इंसानों में ,
अब इंसानी जज़्बात नहीं रहें..
©प्रियंका सिंह
फ़ोटो: साभार गूगल
तेरी बूढी हंसी में ,अब वो बात नहीं रही..
बयां तो कर मन की-
चाहे हो वो ,दो टूक अल्फ़ाज़ ही सही..
खामोशियों के इस बियाबान में -
तू घूम क्यों रहीं...
व्यथाओँ को बता कर,पल भर को-
खुल के झूम तो सही..
भावी इंसानो की सभा में भावनाओ की ,
ऐसी दुर्गति,कोई कैसे सहे..
ये कौन किससे कहे कि-
हम इंसानों में ,
अब इंसानी जज़्बात नहीं रहें..
©प्रियंका सिंह
फ़ोटो: साभार गूगल
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