#अमिया_की_डाली...

गर्माहट भरी हवाओं में,
झूमती वो अमिया की डाली...
पत्तियों की सरसराहट हो या,
डालियों की चरमराहट,
लगे जैसे साथ मिल सारे-
बजा रहे हो ताली.....
इठलाती,बलखाती सौंधी-सी खुशबू
पीली पीली मंजरी की..
जैसे खरी हो कोई बाला-
पीली चुनड़ी ओढ़े सुन्दरी सी...
उफ्फ ये चटपटा खट्टापन
नन्ही नन्ही कैरी की.....
याद आया बचपन,
पेड़ों से टपकते आमों के लिये,
आंधी-बारिशों के बीच -
कभी मैं भी बागो में दौड़ी थी...

©प्रियंका सिंह

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