#कैसे_करूँ_तुम्हारी_शहादत_को_सलाम

तुम्हारी शहादत की झांकियों के
बढ़ते काफिलों के पीछे छूट गई
इक नन्ही सी किलकारी...
हो गई खाली ..
तुम्हारे कपड़ो से भरी पड़ी-
हम दोनों की अलमारी....
अब ना आएंगी ,
तुम्हारे नाम की कोई चिट्टी..
सारे सपने ख़ाक हो गए
बस पास बची ..
तुम्हारे अर्थी की आखिरीे स्पर्श वाली
घर आंगन की मिट्टी...
छुट्टी की मंजूर अर्जियों के साथ
अब कोई ना घर को आएगा
प्यार-तकरार भरी मुस्कान से
अब कोई ना मन बहलाएगा..
अब कौन लाएगा ..
अपनी बिटिया के लिए खिलौने
अब कौन बतियायेगा...
बैठ अम्मा के सिरहाने
सुनी हो गई ...
हाय मेरी कलाई
तुम्हे अंतिम विदाई देते...
हाय सबकी आँखें पथराई
मैं मानती हूं ....
तुम शहीद होकर ,अमर हुए....
पर सच्चाई तो ये भी है ना
तुम हमारे पास,हमारे बीच नहीं रहे...

©प्रियंका सिंह

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