#चटकती_पीली_सरसों_के_महीन_दाने,

चूल्हे की गर्म आंच पर जलती तप्ती कड़ाही,
तप्ती हूँ मैं भी प्रत्येक क्षण-
जब भी स्मरण हो आती हैं
जलती चुभती तुम्हारी हर एक बातें...

चटकती जैसे गर्म तेल में
पीली सरसों के महीन दाने,
चटके हैं वैसे मेरे हरेक सपनें भी-
जिनकी आवाज़ को हर बार दबा जातें
तुम्हारी कड़वी बातों के गमगीन ताने...

तीखी बातों की हर छौंक के साथ
वेदनाओ की तेज दौंक उठती हैं
भवनाओं की तेज़ लहरों की ठेस से
उम्मीदों से बनी नाओ चूर चूर हो टूटती हैं...

©प्रियंका सिंह

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