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Showing posts from June, 2017

#अग्निफेरा

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विषय - अग्नि फेरा तिथि -१९/६/२०१७ वार -सोमवार 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 वर-वधू-विवाह का आरम्भ -अग्नि फेरा नव संसार व जीवन का प्रारंभ -अग्नि फेरा कहीं ख़ुशीयों का व्योम -अग्नि फेरा कहीं सपनो का होमं -अग्नि फेरा कहीं अपनों से जुदाई -अग्नि फेरा कहीं अपनों बीच पराई -अग्नि फेरा कहीं सर्वस्व लूटा,बेटी की बिदाई- अग्नि फेरा कहीं बरसते ताने,थमने की दुहाई- अग्नि फेरा         ये अग्निफेरा हैं -अंतहीन अपेक्षित आशाओं का         ये अग्निफेरा हैं - निष्प्राण होती अभिलाषाओं का         ये अग्निफेरा हैं- प्रतिष्ठाओं की जलती धूप का         ये अग्निफेरा हैं - बलिदानों की कड़वे घूँट का        ये अग्निफेरा हैं -समाज से जुड़े हर कायदे का        ये अग्निफेरा हैं-प्रिय पति से जुड़े हर दायरे का        ये अग्निफेरा हैं- आत्म अधिकारों के हनन का        ये अग्निफेरा हैं- पुरुषाधिन जिजीविषा के मनन का 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥?...

#कलमकार

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छिटके अल्फ़ाज़ों को चुन देते मूक भावो को आकार धन्य है तुम्हारी कलम, धन्य हो तुम कलमकार अनगढ़ सोच की मूरत को समझ की स्याही से देते रुप साकार धन्य है तुम्हारी कलम, धन्य हो तुम कलमकार तुम्हारी कलम की छाया में होता मात्राओं का भी उद्धार धन्य है तुम्हारी कलम, धन्य हो तुम कलमकार तुम्हारी प्रतिभा की ये गाथा अक्षर या कोई शब्द नहीं बेकार धन्य है तुम्हारी कलम, धन्य हो तुम कलमकार तुम लिखो..बिना डरे बिना रुके उठाओ कलम से हर विषयों के प्रकार धन्य है तुम्हारी कलम, धन्य हो तुम कलमकार तुम समाज का दर्पण हो,तुम्हे निहार मानवीयता लेती अपना रूप निखार धन्य है तुम्हारी कलम धन्य हो तुम कलमकार

#स्त्री

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#काफ़िया-आन #रदीफ़- नहीं कोई तिथि-१४जून२०१७ वार-बुधवार ********************** स्त्री भी इंसान है, मूरत -बेजान नहीं कोई घर में पड़ी बेकार सी -सामान नहीं कोई सभ्यता की फटी चादर मे बुद्धिजीव छिपे है यहाँ परिस्थितियों से -अंजान नहीं कोई स्त्री की गरिमा ना समझे........ मेरी समझ से इतना -नादान नहीं कोई सदियों से अस्तित्व के संघर्ष में मिला इसे क्यों -सम्मान नहीं कोई जीवन भर  त्याग के उपरान्त भी इसे हुआ अभी -अभिमान नहीं कोई **************************** नाम -प्रियंका सिंह शहर-रांची

#अधूरी_बातें

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तिथि-१६/६/२०१७ वार- शुक्रवार 🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎 जाने क्यों यूँ बात बात पर, तुम्हारी हर बेफ़िक्री को सह गई यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें कहने-सुनने को रह गई...... वो बातें झूठे वादें थे अमूमन उन वादों में मैं बह गई यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें कहने- सुनने को रह गई...... तुम्हारी हर टोक चोट देती थी उन मूक चोटों को क्यों सह गई यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें कहने- सुनने को रह गई...... इक रोज़ नहीं हर रोज़ दिए तेरे ताने सुन मेरी हिम्मत ढह गई यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें कहने-सुनने को रह गई..... मन में दबी कई बातें थी यूँ बातों बातों में मैं कुछ कह गई फिर भी बीच हमारे कुछ अधूरी बातें कहने-सुनने को रह गई...... ?🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎 नाम -प्रियंका सिंह शहर -रांची

#मोबाइल

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तिथि-15/6/2017 वार-गुरुवार सुनो सखी ये मेरी कहानी मेरी कहानी कुछ मेरी जुबानी माँ कहती खीज़ बात बात पर मोबाईल चलाने में मैं हूँ नानी सारा दिन मैं यही बिताऊँ दिन भर सिर्फ चैट में बतिआउँ है मोबाइल की जरुरत कैसे जताऊं माँ को ये चीजें कैसे बताऊँ.. इसी से मेरी लेखनी यही मेरी किताब इसी में लेख ,मैं लगाती यहीं  हिसाब पल भर में यहाँ जानकारियां पाऊँ अब स्मार्टनेस का मुझे मिला ख़िताब अरे मोरी मैया .... तुझसे कैसे बताऊँ सच पूछ तो कुछ कह न पाऊँ सारा काम मेरा इसी से होता कैसे तुझको ये समझाऊं बस बार बार ये कह के मानउँ रूठ ना तू तुझे कैसे रिझाऊँ इतना समझ ले घर बैठे ही सारा काम एक चुटकी में झटपट मैं यही निपटाऊँ

#काफ़िया

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अपनी ओझल पहचान है प्यारे उज्जवल अस्तित्व का अरमान है प्यारे.. मार्ग में अनेक बाधाएं है- इस बात से मन अंजान है प्यारे... जीवन की इस भाग दौड़ में अब तक ज़हन नादान है प्यारे... कोशिशों के रेतीले टीलें ही सही- उन पर मुझे अभिमान है प्यारे... कठिनाइयों से लड़ने में ही- मेरा आत्मसम्मान है प्यारे.... अभिमान से दूर, मन की कोने गह्वर में कुछ ऐसा है जो बेजान है प्यारे.. चेहरे की हरियाली के भीतर मन में कुछ सुनसान, बियाबान है प्यारे... शायद ये असफलताओं के थपेड़े है जिससे हिय परेशान है प्यारे.... निराश मन की भूमि पर मानो बन रहा दिन दिन उम्मीदों का शमशान है प्यारे.... ©प्रियंका सिंह

#ममता_ममत्व_की

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देखो कैसेेे - बोलती ये तस्वीर राज़ ममत्व का कैसे - खोलती ये तस्वीर ... इन्ही हाथों रचा - जीवन का ये अद्भुत सार बेमोल,अमूल्य है आभा- कौन उतारे इसका भार... नो महीने का गर्भ धारण कर ' संपूर्ण मानवता को - आकार दिया है इसने, दुखद विडम्बना कहु यही - कोई एक ना दीखता ऐसा उचित सम्मान दिया हो जिसने... ©प्रियंका सिंह

#निर्मम_संवेदनाएं

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निर्ममता की हर श्रेणी वो - पार कर गया..... अस्तित्व पर चोट क्या कम थी - जो माँसल शरीर की यौनि पर भी वार कर गया .... हर बार देह सिहर सी जाती जब वो क्षण- स्मरण हो आती मानवता की माया को वो मानव बेकार कर गया..... हर स्त्री की गरिमा को वो तार -तार कर गया..... हाय वो निर्मम- निर्ममता की हर श्रेणी पार कर गया.....

#सुनो_गुलाब

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सुनो गुलाब.... तुम मेरी प्रिय हो, इसीलिए तुमसे जुड़ी कुछेक मानसिकता खलती है,  हिय को... नहीं मानती, तुम्हारी उस वज़ूद को- जिससे केवल नायिकाएं ही सवांरती रहे ख़ुद को.. नहीं मानती, तुमसे जुड़े उस ख़्वाब को- जिसमें तुम केवल भेंट स्वरुप इंगित होती हो किसी प्रेमी,नायिका ,किसी नवाब को.. मेरे लिए तुम केवल -मात्र गुलाब का फूल नहीं, तुम सर्वदा पूज्य हो... चाहें पूण्य आत्माओं ,वीर-वीरांगनाओं के चरणों से - कुचली हुई ,  मानो धूल सही.... मुझे तुमसे जुड़ा केवल प्रेम प्रसंग मान्य नहीं, समाज से प्रसारित तुम्हारे लिए - कामुकता का सम्मान भी ध्यान नहीं.. मेरे लिए ...प्रिय तुम केवल कोमल पुष्प हो,कोई प्रतीकात्मक भोग्य नहीं हाँ कुछ मानसिकताएं शुष्क है, जिनके लिए तुम पूजनीय, पूजन के योग्य नहीं... ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●

#यादों_की_रेलगाड़ी

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यादों की इस रेलगाड़ी में, डिब्बे सारे सपने हैं ऐसे सपने जिनके मूल केंद्र में, मेरे सारे अपने हैं......... जो रुंठती मैं कभी बात बात पर , हर बार ठग - मानतीं वो, खाने का हर एक निवाला- अपने हाथों - खिलातीं वो...... माँ की बोली, माँ का दिलाशा अब याद जो आए,मन होय रुआंसा... बाबा की सख़्ती, भाई की मस्ती...... लड़ाई, झगड़ों संग- मुँह फुलाना, उन अठखेलियों संग-ढेरों बहाना.... अब लगता है वाकई- मैं बड़ी हो गई माँ के पद पर आज- मैं भी खड़ी हो गई... कसमें-वादें ,रिश्तें-नाते जिम्मेदारियों का जैसे मिला खज़ाना...... अब नन्ही सी मुझमे- मुस्कान नहीं खिलती अब अल्हड़ सी मेरी- पहचान नहीं मिलती बाबा की टोक- माँ की गोद- भाई का सताना, सच पूछों तो सब कुछ -लगे बीता जमाना... मेरी पूँजी-खुशियों की कुंजी - मेरे सारे अपने है, यादों की इस रेलगाड़ी में, डिब्बे सारे सपने हैं......... ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

#सोच_सकारात्मक

तनिक धैर्य रख ,ना हिम्मत तु यूँ हार ... आने वाला वक़्त - तेरा है.... जीवन के हर चोटिल थपेड़ो पर, करना है तुझे - एक अचूक वार थोड़ी हिम्मत , थोड़ी शक्ति थोड़े मनोबल  की कतार..... फिर देखूंगी कैसे नहीं होता हर एक कठिनाइयों का संहार .... ©प्रियंका सिंह

#राधे_कृष्णा

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★★★★★★★★★■■■■■■■■★★★★★ सुरत मोहक - छवि निराली मानो मन के अंध कूप में, भावमय फैली - ज्योति की लाली... साँवरे के रंग में - जैसी रंगी मीरा वैसी रंग जाऊ - ले नाम मैं तेरा... ह्रदय में स्नेह का - भण्डार है जितना सब तुझ पर - देऊ वार मैं कृष्णा... मोहनी सूरत - बाल छवि तेरी सब गोपियन की- मति गई फेरी... मोहक मृदुल - फुहार में राधे प्रेम वीणा के - हर तार में राधे...... सब सखियों में - राधा प्यारी कोमल आभा - अति दुलारी.... हाय दोनों की - संग मूर्ति न्यारी तुम्हरे प्रति यह प्रेम - सब भार से भारी... इस बेसुध मन की बेकल तृष्णा ....जो जपत जाऊ नाम .... ......राधे कृष्णा - राधे कृष्णा..... ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆●●●●◆●◆●