#कलमकार
छिटके अल्फ़ाज़ों को चुन
देते मूक भावो को आकार
धन्य है तुम्हारी कलम,
धन्य हो तुम कलमकार
अनगढ़ सोच की मूरत को
समझ की स्याही से देते रुप साकार
धन्य है तुम्हारी कलम,
धन्य हो तुम कलमकार
तुम्हारी कलम की छाया में
होता मात्राओं का भी उद्धार
धन्य है तुम्हारी कलम,
धन्य हो तुम कलमकार
तुम्हारी प्रतिभा की ये गाथा
अक्षर या कोई शब्द नहीं बेकार
धन्य है तुम्हारी कलम,
धन्य हो तुम कलमकार
तुम लिखो..बिना डरे बिना रुके
उठाओ कलम से हर विषयों के प्रकार
धन्य है तुम्हारी कलम,
धन्य हो तुम कलमकार
तुम समाज का दर्पण हो,तुम्हे निहार
मानवीयता लेती अपना रूप निखार
धन्य है तुम्हारी कलम
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