#सुनो_गुलाब


सुनो गुलाब....
तुम मेरी प्रिय हो,
इसीलिए तुमसे जुड़ी कुछेक मानसिकता
खलती है,  हिय को...

नहीं मानती, तुम्हारी उस वज़ूद को-
जिससे केवल नायिकाएं ही सवांरती रहे ख़ुद को..
नहीं मानती, तुमसे जुड़े उस ख़्वाब को-
जिसमें तुम केवल भेंट स्वरुप इंगित होती हो
किसी प्रेमी,नायिका ,किसी नवाब को..

मेरे लिए तुम केवल -मात्र गुलाब का फूल नहीं,
तुम सर्वदा पूज्य हो...
चाहें पूण्य आत्माओं ,वीर-वीरांगनाओं के चरणों से -
कुचली हुई ,  मानो धूल सही....

मुझे तुमसे जुड़ा केवल प्रेम प्रसंग मान्य नहीं,
समाज से प्रसारित तुम्हारे लिए -
कामुकता का सम्मान भी ध्यान नहीं..

मेरे लिए ...प्रिय तुम
केवल कोमल पुष्प हो,कोई प्रतीकात्मक भोग्य नहीं
हाँ कुछ मानसिकताएं शुष्क है,
जिनके लिए तुम पूजनीय, पूजन के योग्य नहीं...

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