#निर्मम_संवेदनाएं

निर्ममता की हर श्रेणी वो -
पार कर गया.....

अस्तित्व पर चोट क्या कम थी -
जो माँसल शरीर की यौनि पर भी
वार कर गया ....

हर बार देह सिहर सी जाती
जब वो क्षण- स्मरण हो आती
मानवता की माया को वो मानव
बेकार कर गया.....

हर स्त्री की गरिमा को वो
तार -तार कर गया.....

हाय वो निर्मम-
निर्ममता की हर श्रेणी
पार कर गया.....

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