#अधूरी_बातें



तिथि-१६/६/२०१७
वार- शुक्रवार

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जाने क्यों यूँ बात बात पर,
तुम्हारी हर बेफ़िक्री को सह गई
यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें
कहने-सुनने को रह गई......

वो बातें झूठे वादें थे
अमूमन उन वादों में मैं बह गई
यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें
कहने- सुनने को रह गई......

तुम्हारी हर टोक चोट देती थी
उन मूक चोटों को क्यों सह गई
यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें
कहने- सुनने को रह गई......

इक रोज़ नहीं हर रोज़ दिए
तेरे ताने सुन मेरी हिम्मत ढह गई
यक़ीनन बीच हमारे कुछ अधूरी बातें
कहने-सुनने को रह गई.....

मन में दबी कई बातें थी
यूँ बातों बातों में मैं कुछ कह गई
फिर भी बीच हमारे कुछ अधूरी बातें
कहने-सुनने को रह गई......

?🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎🎎

नाम -प्रियंका सिंह
शहर -रांची

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