सावन
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१ - श्रृंगार
रिम झिम मेघ छाय घटा घनघोर रे
मन भयो बावरा चित भयो चोर रे
सावन मन बन घूमें पपीहा सरस
हिय करें देख कैसेे नचन जोर रे
२ - विरह
पिय दरस को दिन कई गए बीत रे
भाये नहीं कछु कैसी ये रीत रे
अब कहूँ का रचत नाहि हिय को सुनो
सावन घन वन बदरा शुभे गीत रे
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