श्रद्धांजलि
2122 2122 2122 2122
चेतना क्यों हम सभी के वंद्य मन को छल रही है
अब द्रवित हो वेदना भी सुप्तता में ढल रही है
शब्द के सम्राट थे वह काल कवलित हो गए जो-
अश्रु से पूरित धरा फिर विरहिणी सी जल रही है
#प्रियंका_सिंह
2122 2122 2122 2122
चेतना क्यों हम सभी के वंद्य मन को छल रही है
अब द्रवित हो वेदना भी सुप्तता में ढल रही है
शब्द के सम्राट थे वह काल कवलित हो गए जो-
अश्रु से पूरित धरा फिर विरहिणी सी जल रही है
#प्रियंका_सिंह
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