आज फिर दिल मेरा हाय रोने को है


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हाय फिर दिल मेरा आज रोने को है
दूरियों  में  भी  सपने  संजोने  को है
हाय फिर दिल मेरा आज रोने को है

दर बदर फिर रहा काफिरों की तरह
जानता  कुछ  नहीं  जाहिरो की तरह
आज फिर यादों में पल डुबोने को है
दूरियों  में  भी  सपने  संजोने   को है

देख लू जो तुझे   दिल संभल जाएगा
जलती लौ के तले मन पिघल जाएगा
साँस  अश्कों  की माला  पिरोने को है
दूरियों  में  भी   सपने  संजोने   को है

गर  कही है जो रब  तो सदाएं सुनो
साथ  उसके लिए तुम मुझे ही चुनो
नाम उनके दुआ - खुद खोने  को है
दूरियों  में भी  सपने  संजोने  को है

हाय फिर दिल मेरा आज रोने को है
दूरियों  में  भी  सपने  संजोने  को है
हाय फिर दिल मेरा आज रोने को है

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