मज़हब ने जो सिखलाया है, वो अदबी सम्मान रहे।
मज़हब ने जो सिखलाया है, वो अदबी सम्मान रहे।
एक हाथ में गीता हो तो, दूजे में कुरआन रहे।
त्यौहारों में मेल- जोल हो ,और खुशियों का हो डेरा
जैसी होली हो हम सबकी , वैसा ही रमज़ान रहे।
सारी दुनिया जिस भारत की, विविधा के गुण गाती है
उस भारत की क़ौमी' एकता, पर भी सबका ध्यान रहे।
मन्दिर मस्जिद के झगडों से, नहीं बटेंगे हम सब यूँ-
होंगे जब हम एक तभी यह, प्यारा दिन्दुस्तान रहे।
खूँ का कतरा कतरा देकर, मान बढ़ाए भारत का
माटी पर मर मिटने को "प्रिय", तत्पर हर इंसान रहे।
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