#दिनांक-26/8/17 सस्वर गायन - "#गणेश_वंदना" #दोहा काया उबटन से बने , आदिशक्ति के लाल गजमुख वरन गजानना, शोभित चंदन भाल मति कुबेर मारी गई, अपने धन इतराय गणपति लीला देखि जो, करनी पर पछताय चंद्र स्वरूप अहम भरा, श्वेत रंग जो पाय सूरत से सीरत भली, देवा पाठ पढ़ाय चरण वंदना मैं करूँ, माटी शीश टिकाय आप गणेशा को सदा, लडुअन भोग लुभाय देव गजानन गणपती, गौरी पुत्र गणेश तुम ही बुद्धिदाता हो, तुम ही हो प्रथमेश #प्रियंका_सिंह
तिथि-15/6/2017 वार-गुरुवार सुनो सखी ये मेरी कहानी मेरी कहानी कुछ मेरी जुबानी माँ कहती खीज़ बात बात पर मोबाईल चलाने में मैं हूँ नानी सारा दिन मैं यही बिताऊँ दिन भर सिर्फ चैट में बतिआउँ है मोबाइल की जरुरत कैसे जताऊं माँ को ये चीजें कैसे बताऊँ.. इसी से मेरी लेखनी यही मेरी किताब इसी में लेख ,मैं लगाती यहीं हिसाब पल भर में यहाँ जानकारियां पाऊँ अब स्मार्टनेस का मुझे मिला ख़िताब अरे मोरी मैया .... तुझसे कैसे बताऊँ सच पूछ तो कुछ कह न पाऊँ सारा काम मेरा इसी से होता कैसे तुझको ये समझाऊं बस बार बार ये कह के मानउँ रूठ ना तू तुझे कैसे रिझाऊँ इतना समझ ले घर बैठे ही सारा काम एक चुटकी में झटपट मैं यही निपटाऊँ
शिकायतें.... और कितनी हैं ? तुम्हे मुझसे शिकायतें.. अगर कुछ है तो बता दो, कुछ बेढंगा सा जो मुझमें है वो आज ही तुम जता दो... रोज़ की कुढ़न का करना क्या, रोज़ यूँ किस्तो में लड़ना क्या.. रोज़ की किचकिच,रोज़ की झिकझिक आज गिना ही दो मेरी, रोज़ की खिटपिट हाँ,हर बात पे जिद्द करती हूँ हाँ,हर बात पे खीझ पड़ती हूँ वक्त बे-वक्त...I हाँ,बस तुमसे ही भिड़ पड़ती हूँ और कुछ ...देख लो,सोच लो कुछ रह ना जाऐ रुक जाओ,जरा संभाल लूँ खुद को तकलीफें आँखों से मेरे बह ना जाऐं... इक बात बताओगे? और कितना बेरुखापन दिखाओगे, और कितना खुद से दूर भागाओगे.. जानती थी वक्त बदलेगा पर इतनी जल्दी,ये उम्मीद ना थी, एक मेरे तुम ही अपने मैं कोई हज़ारों की मुरीद ना थी... बचत चाहती थी लम्हो का हर बात के लिए फकत कुछ परवाह लम्हे हमेशा हमेशा के साथ के लिए
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