धर्म के नाम पर

#दिन- शनिवार 16/09/2017

#आधार - छंद वाचिक राधा (मापनीयुक्त)
#मापनी – 2122 2122 2122 2
अथवा - गालगागा गालगागा गालगागा गा
#समांत - आते <> #पदांत – क्यों
[ गीतिका ]

धर्म के ही नाम पर तुम घर चलाते क्यों ?
पाप से भर पोटरी को फिर छिपाते क्यों ?

नाम ईश्वर का लिया लूटा भरोसा जो
फिर कहो तुम आज निंदा से लजाते क्यों ?

जो शरण में लोग आते भाव जय लेकर
देव श्रद्धा नाम ले तुम धन पचाते क्यों ?

भक्त मन भोला सदा वह प्रेम साधक है
स्वर्ग जाएँगे - प्रलोभन दे रिझाते क्यों ?

मन भलाई भाव रख करते भजन कीर्तन
आश करुणा की अगनि को तुम बुझाते क्यों ?

#प्रियंका_सिंह

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