चेहरा

#दिनांक-29/9/17

#चेहरा

एक चेहरा
मासूमियत संग थकान ओढ़े
हर रोज ज़िंदगी को -
तिनके तिनके सा जोड़े
यथार्थ नहीं किंतु...
आँखे भींच पल पल रोते देखा है
नींद की तलाश में-
रातें - पलकों पर ढोते देखा है
उस हृदय की अंतहीन पीड़ा में
वेदना के भाव भार कम करूँ-
एक सहज प्रेम हाथ बढ़ाया है
निशा के एकान्त में ,
प्रेम ऋतु बसंत में-
नींद के पार मैने इक जहां बसाया है
वहाँ वो अक्स जिसे हरबार
बेमाने ही मैंने अपने पास बुलाया है
निद्रा के आलोक में ही सही
वो मेरा ही तो हमसाया है..
जिसके लिए -
नींद के पार मैने इक जहां बसाया है

#प्रियंका_सिंह

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