सुरमई शाम
#गीतिका(ग़ज़ल)
#वज़्न
22 22 22 2
सुरमयी' सी ये शाम कहो.?
देती क्या पैगाम कहो.?
शीतल सी मदमस्त पवन
झूमे क्यूँ सरेआम कहो.?
तारें भी शरमाये' हुए
क्यूँ लगते गुमनाम कहो.?
बादल है घनघोर दिखा
बूँदें क्यूँ बदनाम कहो.?
'प्रिय' भावों की जादुगरी
किस्से हैं जो तमाम कहो.?
#प्रियंका_सिंह
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