कविता(आशाएं)

#दिनांक -31/8/17

लिए कुछ स्वप्न सजल अंकुर मन में
चलें कहीं दूर नितान्त निर्जन वन में

हो जहां कलकल नदी का किनारा
चमके मद्धम - ढलता सूर्य सितारा

वट- शिखर हरित फूल कली क्यारी
शोभित मन मोहित ज्यों सखि प्यारी

बहे मंद पवन-  सुमन से लहराते केश
सांझ लालिमा रंगीत धारण स्वर्ण वेश

 स्वेत सारंग में आशाओं के भिन्न रंग भरुँ
धरे चंचल हिय इच्छा पवन संग खूब लड़ूँ

#प्रियंका_सिंह

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