कविता(पल)
#दिनांक- 4/9/17
#विषय #पल
आओ सुनाऊँ ..
पल पल की कहानी
एक पल में सिमटे
हर पल की जुबानी
वादों में लिपटा पल
कसम की निशानी
अहसासों में सिमटा पल
सनम - यादें पुरानी
शहनाइयों से सजा पल
झूमता हुआ
नन्हीं जान को थामे पल
चूमता हुआ
पल में बिखरती मुस्कान
मधुर मीठी सी
पल में छिड़े तकरार
कुछ-कुछ रूठी सी
कहीं पल में मने
खुशियों का त्यौहार
कहीं पल में पड़े
हालातों की मार
कभी पल-पल में बसी
अनकही बातें रूहानी
कहीं अगले पल संदेश
वतन के नाम कुर्बानी
पल में डूबती लुटिया
पल में बेड़ा पार
पल में बिखरे कुटिया
पल में बसे संसार
#प्रियंका_सिंह
#विषय #पल
आओ सुनाऊँ ..
पल पल की कहानी
एक पल में सिमटे
हर पल की जुबानी
वादों में लिपटा पल
कसम की निशानी
अहसासों में सिमटा पल
सनम - यादें पुरानी
शहनाइयों से सजा पल
झूमता हुआ
नन्हीं जान को थामे पल
चूमता हुआ
पल में बिखरती मुस्कान
मधुर मीठी सी
पल में छिड़े तकरार
कुछ-कुछ रूठी सी
कहीं पल में मने
खुशियों का त्यौहार
कहीं पल में पड़े
हालातों की मार
कभी पल-पल में बसी
अनकही बातें रूहानी
कहीं अगले पल संदेश
वतन के नाम कुर्बानी
पल में डूबती लुटिया
पल में बेड़ा पार
पल में बिखरे कुटिया
पल में बसे संसार
#प्रियंका_सिंह
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