मुक्तक(व्यथा)
#दिनांक - 17/7/17
#मात्राभार- 18
#मुक्तक
कासे कहूँ अपने मन की व्यथा
फिरूँ बन के बेकल बिरहन यथा (जैसे)
मन की टीस दबी जाए मन मे
कौउन सुने कुहक़त मन की कथा
✍स्वरचित
#प्रियंका_सिंह
#मात्राभार- 18
#मुक्तक
कासे कहूँ अपने मन की व्यथा
फिरूँ बन के बेकल बिरहन यथा (जैसे)
मन की टीस दबी जाए मन मे
कौउन सुने कुहक़त मन की कथा
✍स्वरचित
#प्रियंका_सिंह
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