#ग़ज़ल(खाई कसम तुझको भुलाते देखा है )
सादर प्रणाम
#दिनांक-4/10/7
#ग़ज़ल
2122 2122 2122 212
इश्क़ में खाई कसम तुझको भुलाते देखा' है
प्यार मेरा भूल कर जो दिल लगाते देखा' है
क्या तरस आया नहीं मुझ पर तुझे ए दिलनशीं
तोड़ कर मेरा भरोसा मुस्कुराते देखा है
सोच तो इक पल ठहर कर बीतता इस दिल पे क्या
ग़ैर के काँधे तुझे जो सिर टिकाते देखा है
था गुलिस्तां सा सजाया ख़्वाब का अपना जहां
छोड़ सब तुमको नई दुनिया बसाते देखा है
प्राण से भी 'प्रिय' रही वो मैं न ये समझा सका
अपनी आँखों से उसे अब दूर जाते देखा है
#प्रियंका_सिंह
#दिनांक-4/10/7
#ग़ज़ल
2122 2122 2122 212
इश्क़ में खाई कसम तुझको भुलाते देखा' है
प्यार मेरा भूल कर जो दिल लगाते देखा' है
क्या तरस आया नहीं मुझ पर तुझे ए दिलनशीं
तोड़ कर मेरा भरोसा मुस्कुराते देखा है
सोच तो इक पल ठहर कर बीतता इस दिल पे क्या
ग़ैर के काँधे तुझे जो सिर टिकाते देखा है
था गुलिस्तां सा सजाया ख़्वाब का अपना जहां
छोड़ सब तुमको नई दुनिया बसाते देखा है
प्राण से भी 'प्रिय' रही वो मैं न ये समझा सका
अपनी आँखों से उसे अब दूर जाते देखा है
#प्रियंका_सिंह
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