ग़ज़ल (सैन्य जीवन)
दिनांक 27/7/17
#सैन्य_जीवन
#ग़ज़ल
#काफ़िया - आते
#रदीफ़ - रह गया
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
2122. 2122. 2122. 212
प्यार के अब इस वतन में मैं जां लुटाते रह गया
इश्क़ के ऐसे चमन में मन मिलाते रह गया
पास है जो याद तेरी जान मेरी आज सुन
हमनवां हाँ मैं दिलों में गुल खिलाते रह गया
गर्दिशों में ढल रहे यूँ जानिए ज़ज्बात हैं
अब सनम क्या क्या कहूँ सबकुछ भुलाते रह गया
ज़िंदगी ये इस वतन पर मैं लुटाने को चलूँ
नाम तेरे हर वफ़ा खुद की जताते रह गया
कर चला अब जान मैं कुर्बान भारत को सुनो
माफ़ कर मैं इस जनम वादें निभाते रह गया
#स्वरचित
#प्रियंका_सिंह
#सैन्य_जीवन
#ग़ज़ल
#काफ़िया - आते
#रदीफ़ - रह गया
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
2122. 2122. 2122. 212
प्यार के अब इस वतन में मैं जां लुटाते रह गया
इश्क़ के ऐसे चमन में मन मिलाते रह गया
पास है जो याद तेरी जान मेरी आज सुन
हमनवां हाँ मैं दिलों में गुल खिलाते रह गया
गर्दिशों में ढल रहे यूँ जानिए ज़ज्बात हैं
अब सनम क्या क्या कहूँ सबकुछ भुलाते रह गया
ज़िंदगी ये इस वतन पर मैं लुटाने को चलूँ
नाम तेरे हर वफ़ा खुद की जताते रह गया
कर चला अब जान मैं कुर्बान भारत को सुनो
माफ़ कर मैं इस जनम वादें निभाते रह गया
#स्वरचित
#प्रियंका_सिंह
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