कविता(आतंकवाद)
#दिनांक-12/7/17
#विषय-#आतंकवाद
हे ईश्वर .......
जाने तुमसे कहां चुक हुई
मानव की संवेदना
देखो कैसे मूक हुई
मानव ऐसा निर्मम
कौन कहेगा
दिन दिन मिलते घाव
कहो कौन सहेगा
"पाक" देश का वो -
पापी आया
साथ में अपने जाने कितनी
खुनी गोलियों की
सौगातें लाया
हमें नही चाहिए निंदा
कहो कौन होगा यहाँ
इन मौतों पर शर्मिंदा
लो कुछ तुम निर्णय
कब तक देते रहोगे
आतंकियों को आश्रय
ये आतंकवाद है
संवेदना के उपरांत
ये घृणित अपवाद है
अब समय है आया
कड़ी निंदाएं छोड़ो
उखाड़ फेंको आतंक की हर नसल को
आतंकियों के नाम हर एक फसल को
✍#प्रियंका_सिंह
#विषय-#आतंकवाद
हे ईश्वर .......
जाने तुमसे कहां चुक हुई
मानव की संवेदना
देखो कैसे मूक हुई
मानव ऐसा निर्मम
कौन कहेगा
दिन दिन मिलते घाव
कहो कौन सहेगा
"पाक" देश का वो -
पापी आया
साथ में अपने जाने कितनी
खुनी गोलियों की
सौगातें लाया
हमें नही चाहिए निंदा
कहो कौन होगा यहाँ
इन मौतों पर शर्मिंदा
लो कुछ तुम निर्णय
कब तक देते रहोगे
आतंकियों को आश्रय
ये आतंकवाद है
संवेदना के उपरांत
ये घृणित अपवाद है
अब समय है आया
कड़ी निंदाएं छोड़ो
उखाड़ फेंको आतंक की हर नसल को
आतंकियों के नाम हर एक फसल को
✍#प्रियंका_सिंह
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