ग़ज़ल(तुमको मनाने आए है)
30/8/17
#ग़ज़ल
2122 2122 2122 212
आज कुछ अपने सनम को यूँ मनाने आये है
हम खिजाओ में गुलिस्तां को सजाने आये है
अब भला तुम कब तलक रूठे रहोगे ओ सनम
सुन ज़रा ऐ दिल नशी हम दिल लुटाने आये है
उफ़्फ़ तेरी हर अदा पर मर मिटे जो हम सनम
आशियाँ ख़्वाबो भरा हम इक बसाने आये है
ज़िंदगी की आरज़ू हर ज़ुस्तज़ु में तुम सनम
धड़कनों की धुन जो' तुम वो धुन सुनाने आये है
तुम नहीं जो गर सनम मुस्कान रूठी सी लगे
आप 'प्रिय' के प्राण हो हम ये बताने आये है
#प्रियंका_सिंह
#ग़ज़ल
2122 2122 2122 212
आज कुछ अपने सनम को यूँ मनाने आये है
हम खिजाओ में गुलिस्तां को सजाने आये है
अब भला तुम कब तलक रूठे रहोगे ओ सनम
सुन ज़रा ऐ दिल नशी हम दिल लुटाने आये है
उफ़्फ़ तेरी हर अदा पर मर मिटे जो हम सनम
आशियाँ ख़्वाबो भरा हम इक बसाने आये है
ज़िंदगी की आरज़ू हर ज़ुस्तज़ु में तुम सनम
धड़कनों की धुन जो' तुम वो धुन सुनाने आये है
तुम नहीं जो गर सनम मुस्कान रूठी सी लगे
आप 'प्रिय' के प्राण हो हम ये बताने आये है
#प्रियंका_सिंह
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